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Diabetes in pregnancy: लक्षण, कारण, जोखिम और समाधान

  जानिए गर्भावस्था में डायबिटीज के लक्षण, कारण, खतरे और असरदार समाधान। पढ़ें पूरी जानकारी हमारे Pregnancy Mantra ब्लॉग पर। Introduction: गर्भावस्था हर महिला के जीवन का सबसे संवेदनशील और भावनात्मक दौर होता है। लेकिन जब इस दौरान डायबिटीज जैसी समस्या सामने आती है, तो विशेष ध्यान और जागरूकता की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि गर्भकालीन डायबिटीज क्या होती है, इसके मुख्य कारण, लक्षण, और इससे बचाव के असरदार उपाय। गर्भकालीन डायबिटीज क्या है? जब गर्भावस्था के दौरान शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने वाले हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसे Gestational Diabetes कहा जाता है। मुख्य लक्षण: अधिक प्यास लगना बार-बार पेशाब आना थकावट महसूस होना धुंधली नजर भूख अधिक लगना जोखिम बढ़ाने वाले कारण: पहले से टाइप-2 डायबिटीज का इतिहास मोटापा या अधिक BMI पारिवारिक इतिहास उम्र 30 से अधिक पूर्व गर्भ में जटिलताएं नुकसान और जटिलताएं: बच्चे का अधिक वजन होना समय से पूर्व डिलीवरी शिशु का शुगर कम होना माँ को भविष्य में ...

Blood pressure problems in pregnancy: कारण, लक्षण और समाधान

  गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर समस्या हो सकती है। जानिए इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक व मेडिकल समाधान हिंदी में। परिचय (Introduction) गर्भावस्था का समय एक महिला के जीवन का सबसे खास समय होता है। लेकिन इस दौरान कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। इन्हीं में से एक है हाई ब्लड प्रेशर , जो कई बार जटिलताओं का कारण बन सकता है। ब्लड प्रेशर क्या होता है? ब्लड प्रेशर हमारे रक्त की धमनियों में रक्त के प्रवाह का दाब होता है। गर्भवती महिलाओं में अगर यह 140/90 mmHg से ऊपर जाता है, तो यह चिंता का विषय बन सकता है। गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर के प्रकार: Chronic Hypertension: गर्भावस्था से पहले से ही हाई BP हो। Gestational Hypertension: गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद हाई BP होना। Preeclampsia: हाई BP के साथ शरीर में सूजन और प्रोटीन यूरिन में आना। हाई ब्लड प्रेशर के कारण: आनुवांशिकता अत्यधिक वजन पहले से बीमारियाँ (थायरॉइड, किडनी आदि) तनाव और थकान लक्षण क्या हो सकते हैं? सिरदर्द आँखों के सामने धुंधलापन शरीर में सूजन सांस फूलना ...

Natural solution to asthma: आयुर्वेदिक उपचार से स्थायी राहत

  क्या आप अस्थमा से पीड़ित हैं? जानिए कैसे आयुर्वेदिक उपचार अस्थमा में कारगर हैं। 100% प्राकृतिक और बिना साइड इफेक्ट्स। परिचय: अस्थमा एक सामान्य लेकिन गंभीर रोग है, जो जीवन की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आयुर्वेद के पास अस्थमा का स्थायी और सुरक्षित समाधान है? इस लेख में हम जानेंगे अस्थमा का कारण, लक्षण, और आयुर्वेदिक उपचार की भूमिका। अस्थमा के कारण: वंशानुगत रोग धूल, धुआं, प्रदूषण असंतुलित आहार और जीवनशैली एलर्जी कारक जैसे पालतू जानवर या परागकण लक्षण: बार-बार खांसी आना छाती में जकड़न साँस लेने में कठिनाई रात में ज्यादा तकलीफ आयुर्वेदिक उपचार: 1. तुलसी और अदरक का काढ़ा: सुबह-शाम लेने से सूजन और एलर्जी में राहत मिलती है। 2. हल्दी वाला दूध: इंफ्लेमेशन कम करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। 3. ब्रीदिंग एक्सरसाइज: प्राणायाम, अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका से फेफड़े मज़बूत होते हैं। 4. आयुर्वेदिक औषधियाँ: – वासावलेह – सितोपलादि चूर्ण – पिप्पली चूर्ण (डॉक्टर की सलाह से) लाइफस्टाइल में बदलाव: धूल औ...

गर्भावस्था के दौरान सप्ताह अनुसार बदलाव – एक सम्पूर्ण गाइड

  प्रस्तावना (Introduction) गर्भावस्था एक चमत्कारी यात्रा है, जहाँ हर सप्ताह मां और शिशु के जीवन में नई शुरुआत होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि गर्भावस्था के हर सप्ताह में क्या शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, और कैसे एक माँ हर पड़ाव पर तैयार रह सकती है। गर्भावस्था में सप्ताह अनुसार बदलाव पहली तिमाही (1-12 सप्ताह) भ्रूण का निर्माण शुरू होता है हार्मोनल बदलावों से थकान और मतली डॉक्टर द्वारा फोलिक एसिड की सलाह दूसरी तिमाही (13-26 सप्ताह) भ्रूण की हड्डियाँ विकसित होती हैं माँ को पहली बार शिशु की हरकतें महसूस होती हैं एनर्जी लेवल बढ़ता है तीसरी तिमाही (27-40 सप्ताह) शिशु का वजन और लंबाई तेजी से बढ़ती है माँ को बैकपेन और अनिद्रा हो सकती है डिलीवरी की तैयारी शुरू होती है जरूरी बातें जो हर माँ को जाननी चाहिए प्रेगनेंसी डायरी रखें – हर अनुभव को लिखें सही खानपान अपनाएं – आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड लें रेगुलर चेकअप कराएं – हर ट्राइमेस्टर में टेस्ट जरूरी हैं मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें – मेडिटेशन और पॉजिटिव सोच अपनाएं विश्वसनी...

Ayurvedic Treatment for Ear Pain: प्राकृतिक समाधान जो काम करता है.

  परिचय: कान का दर्द ना केवल असहनीय होता है, बल्कि यह दिनचर्या को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। विशेष रूप से जब इसका कारण सर्दी-जुकाम, इंफेक्शन या पानी का जमाव हो। पर क्या आपको पता है कि आयुर्वेद में इसका प्रभावी और सुरक्षित इलाज मौजूद है? कान दर्द के सामान्य कारण: सर्दी-खांसी के दौरान बलगम का जमाव कान में वैक्स का अत्यधिक जमा होना तैराकी के बाद कान में पानी रह जाना संक्रमण या फंगल ग्रोथ आयुर्वेदिक नुस्खे: 1. लहसुन और सरसों तेल का मिश्रण लहसुन को सरसों के तेल में गर्म करें और ठंडा होने पर 2 बूँदें कान में डालें। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। 2. तुलसी का रस तुलसी की पत्तियों को पीसकर उसका रस निकालें और 1–2 बूँद कान में डालें। संक्रमण को कम करने में उपयोगी। 3. नीम तेल नीम तेल में एंटीफंगल गुण होते हैं जो कान के संक्रमण से लड़ते हैं। 4. भाप लेना (Steam Therapy) नाक और कान के ब्लॉकेज के लिए भाप लेना बहुत उपयोगी हो सकता है। सावधानियाँ: गर्म तेल या रस कान में डालने से पहले ठंडा कर लें। अगर कान से पस या ब्लड आ रहा हो, तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें। ...

Third trimester of pregnancy लक्षण, देखभाल और तैयारी | Third Trimester Pregnancy Guide in Hindi

  तीसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जानें लक्षण, आहार, सावधानियाँ और डिलीवरी की तैयारी इस गाइड में। परिचय (Introduction) गर्भावस्था की तीसरी तिमाही यानी 28वें हफ्ते से लेकर डिलीवरी तक का समय। यह माँ और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दौरान महिला के शरीर में तेज़ बदलाव होते हैं और शारीरिक व मानसिक रूप से खुद को डिलीवरी के लिए तैयार करना पड़ता है। तीसरी तिमाही के आम लक्षण पीठ दर्द और थकावट पेट का भारीपन अनियमित नींद Braxton Hicks contractions बार-बार पेशाब आना क्या खाएं, क्या न खाएं? ज़रूरी खाद्य पदार्थ: हरी सब्ज़ियाँ (आयरन के लिए) दूध, दही (कैल्शियम के लिए) सूखे मेवे फल जैसे केला, अनार, सेब बचाव योग्य चीज़ें: अधिक नमक/शक्कर तले हुए खाद्य ज्यादा कैफीन व्यायाम और नींद का महत्व हल्का वॉक, प्रेगनेंसी योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करते हैं। साथ ही, पर्याप्त नींद से स्ट्रेस भी कम होता है। डिलीवरी की तैयारी कैसे करें? हॉस्पिटल बैग पहले से तैयार रखें जरूरी ड...

Second trimester of pregnancy: लक्षण, देखभाल और भारतीय महिलाओं के लिए आवश्यक सुझाव

  दूसरी तिमाही में क्या बदलाव आते हैं? जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी लक्षण, आहार, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। Intro: दूसरी तिमाही (13–26 सप्ताह) को गर्भावस्था का सबसे संतुलित और महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। इस समय माँ का शरीर न सिर्फ शारीरिक रूप से मजबूत होता है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी अधिक स्थिर होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इस तिमाही में क्या बदलाव आते हैं, किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और भारतीय महिलाओं के लिए विशेष टिप्स क्या हैं। 1. दूसरा तिमाही: क्यों है यह खास? पेट का आकार बढ़ने लगता है बच्चा गर्भ में हलचल करने लगता है माँ की भूख में वृद्धि होती है भावनात्मक स्थिरता आने लगती है 2. जरूरी लक्षण ऊर्जा स्तर में सुधार पीठ और कमर में हल्का दर्द सीने में जलन (heartburn) त्वचा पर बदलाव (ग्लो या रैशेज़) 3. पोषण और आहार कैल्शियम : दूध, पनीर, रागी आयरन : हरी सब्जियाँ, गुड़, चना प्रोटीन : दालें, अंडे, टोफू फोलिक एसिड : संतरा, पालक, अनार 4. व्यायाम और आराम Prenatal yoga हल्की वॉक सही ...